मेरा मन
Sunday 21 October 2012
कागज की कश्ती
इस कशमकश में जिंदगी गुजार दी हमने
कि वक्त से किस्मत उधार ली हमने
डरते रहे उम्र भर डूबने से और
कागज़ की कश्ती पानी में उतार दी हमने
1 comment:
Pradumna
21 Oct 2012, 05:55:00
बहुत खूब
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बहुत खूब
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