Wednesday 17 October 2012

व्यथा


तस्वीर....
एक अधमरे जीवन की
मासूम अंधेरो की
खत्म होती साँसों की
लाल रक्त से सरोबार
क्षत विक्षत...लथ पथ..
हमने सुनी थी जिसकी आहात
जिसकी साँसों को दबा दिया
जन्म लेने से पहले ही
माँ की कोख में ही
खत्म कर दिया गया जीवन
फिर से वही दरिंदगी
फिर वही वहशियत
इंसान की आंखों में
उसके बदनुमा इरादों में
एक बार फिर शर्मसार हुई
इंसानियत....
कब तक ये होगा
कब तक बेटियां ये दर्द सहेंगी
हां.....मैंने देखी एक मार्मिक
तस्वीर......

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