सफर
ह्रदय का स्पंदन और
डूबती साँसों का बंधन
आंसुओ की कतार
जब होती है दिल के पार
वक्त की हकीकत
करती है दिल को तार
रोकती हैं ये आहें मुझे
कैसे करूँ इनकार
बस चलते जाना है मुझे
इन निगाहों के तरकश के पार
हाँ ये ह्रदय का स्पंदन
कहता है रुको नही
बस चलती रहो जब तक
वक्त न रोके तुम्हारी रफ्तार
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